अब दोनों पैरों से चलेगी बिहार की सीमा, जमुई जिला प्रशासन ने लगवाया पैर, एक पैर से जाती थी स्कूल

buxarnews
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अब दोनों पैरों से चलेगी बिहार की सीमा, जमुई जिला प्रशासन ने लगवाया पैर: एक पैर से करीब 1 KM दूर कूदकर स्कूल जाने वाली जमुई की सीमा अब दोनों पैरों पर चलेगी। ट्राईसाइकिल देने के बाद अब जिला प्रशासन ने ‘शुक्रवार को सीमा को कृत्रिम पैर लगवाया है। आपको बता दें की, मीडिया में खबर आने के बाद जिला  प्रशासन खुद मदद के लिए सीमा के घर पहुंचा।दरअसल, जमुई जिला की खैरा प्रखंड के फतेहपुर गांव की सीमा की खबर सोशल मीडिया में चलने के बाद लगातार समाजसेवी और नेता उनके घर पर मदद के लिए पहुंचने लगे।

सीमा एक पैर से चलकर स्कूल पढ़ने जाती थी। इसको लेकर अलग-अलग संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों ने सीमा को ट्राईसाइकिल, कॉपी, किताब और आर्थिक मदद की। जमुई जिला प्रशासन ने बुधवार को ही कृत्रिम पैर लगाने का भी आश्वासन दिया गया था। वहीं, बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद ने सीमा को कृत्रिम पैर लगाने के लिए अपने पास बुलाने का वादा किया था।

कृत्रिम पैर  लग जाने से सीमा के चेहरे पर असीमित ख़ुशी

जमुई जिला प्रशासन ने बुधवार को ही कृत्रिम पैर लगाने के लिए उसके पैर का माप लिया था। फिर शुक्रवार को कृत्रिम पैर लगाया गया। जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह खुद सीमा के घर जाकर सीमा को कृत्रिम पैर लगवाया। कृत्रिम पैर लगने के बाद सीमा की चेहरे की चमक देखने लायक थी। वहीं सीमा अपने दोनों पैरों पर चलकर काफी खुश नजर आ रही है।

जमुई जिला प्रशासन की पूरी टीम बुधवार को सीमा के घर पर मौजूद थी। सभी ने सीमा को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान उसकी पढ़ाई की लगन को सभी ने सराहा। इस मौके पर जमुई के जिला अधिकारी अवनीश कुमार ने कहा कि सीमा का पढ़ने के प्रति हौसला काबिल-ए-तारीफ है। वह खुद अपनी प्रेरणा से स्कूल जा रही है, जो सभी के लिए प्रेरणादायक है।

सीमा के स्कूल में जल्द होगा स्मार्ट क्लास

सीमा जिस स्कूल में पढ़ती है, उस स्कूल में 1 महीने के अंदर स्मार्ट क्लास बनाया जाएगा। जिलाधिकारी अवनीश कुमार ने कहा कि सीमा के माता-पिता जो काफी गरीब हैं, इनके परिवार को जल्द राशन कार्ड, मकान, सरकारी योजना के तहत मिलने वाली सारी सुविधाएं मिलेगी। सीमा खैरा प्रखंड के नक्सल प्रभावित इलाके फतेपुर गांव में रहती है। उनसे पिता का नाम खिरन मांझी है। सीमा की उम्र 10 साल है। 2 साल पहले एक हादसे में उसे एक पैर गंवाना पड़ा था। इस हादसे ने उसके पैर छीने, लेकिन हौसला नहीं। आज अपने गांव में लड़कियों के शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रति एक मिसाल कायम कर रही है। वह अपने एक पैर से चलकर खुद स्कूल जाती थी और आगे चलकर शिक्षक बनकर लोगों को शिक्षित करना चाहती है।

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